Saturday, September 19, 2020

हिन्दी पखवाड़ा समारोह २०२०-२०२१

 हिन्दी पखवाड़ा समारोह २०२०-२०२१


हर साल 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाया जाता है । 14 सितम्बर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत वर्ष 1949 से हुई थी। 14 सितम्बर 1949 को भारत की संविधान सभा ने हिंदी भाषा को राजभाषा का दर्जा प्रदान किया था तब से इस भाषा के प्रचार और प्रसार के लिए प्रतिवर्ष 14 सितम्बर को हिंदी दिवस मनाने की शुरुआत हुई थी।

केंद्रीय विद्यालय तिंवरी हर बार की तरह इस वर्ष भी हिंदी पखवाड़े का आयोजन नए अंदाज और नए कलेवर के साथ कर रहा है। कोविड-19 महामारी के कारण बदली परिस्थितियों के बावजूद इस पखवाड़े के आयोजन को लेकर उत्‍साह और उमंग में कोई कमी नहीं है।   

पखवाड़े के दौरान आयोजित प्रतियोगिताओं:

१. नारा लेखन प्रतियोगिता

     

                                     















२.लेखन प्रतियोगिता:











Friday, September 4, 2020

सर्वपल्ली डॉ. राधाकृष्णन


शिक्षक समाज के ऐसे शिल्पकार होते हैं जो बिना किसी मोह के इस समाज को तराशते हैं। शिक्षक का काम सिर्फ किताबी ज्ञान देना ही नहीं बल्कि सामाजिक परिस्थितियों से छात्रों को परिचित कराना भी होता है। शिक्षकों की इसी महत्ता को सही स्थान दिलाने के लिए ही हमारे देश में सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने पुरजोर कोशिशें की, जो खुद एक बेहतरीन शिक्षक थे।
अपने इस महत्वपूर्ण योगदान के कारण ही, भारत के पूर्व राष्ट्रपति डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है। उनके जन्मदिवस के उपलक्ष्य में शिक्षक दिवस मनाकर डॉ.राधाकृष्णन के प्रति सम्मान व्यक्त किया जाता है। 
जीवन परिचय -  5 सितंबर 1888 को चेन्नई के एक छोटे से कस्बे तिरुताणी में डॉक्टर राधाकृष्णन का जन्म हुआ था। उनके पिता का नाम सर्वपल्ली वी. रामास्वामी और माता का नाम श्रीमती सीता झा था। रामास्वामी एक गरीब ब्राह्मण थे और तिरुताणी कस्बे के जमींदार के यहां एक साधारण कर्मचारी के समान कार्य करते थे। 
स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन को बचपन में कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा।

डॉक्टर राधाकृष्णन अपने पिता की दूसरी संतान थे। उनके चार भाई और एक छोटी बहन थी छः बहन-भाईयों और दो माता-पिता को मिलाकर आठ सदस्यों के इस परिवार की आय अत्यंत सीमित थी। इस सीमित आय में भी डॉक्टर राधाकृष्णन ने सिद्ध कर दिया कि प्रतिभा किसी की मोहताज नहीं होती। उन्होंने न केवल महान शिक्षाविद के रूप में ख्याति प्राप्त की,बल्कि देश के सर्वोच्च राष्ट्रपति पद को भी सुशोभित किया।
स्वतंत्र भारत के पहले उपराष्ट्रपति और दूसरे राष्ट्रपति सर्वपल्ली राधाकृष्णन को बचपन में कई प्रकार की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। सर्वपल्ली राधाकृष्णन का शुरुआती जीवन तिरुतनी और तिरुपति जैसे धार्मिक स्थलों पर ही बीता। 
यद्यपि इनके पिता धार्मिक विचारों वाले इंसान थे लेकिन फिर भी उन्होंने राधाकृष्णन को पढ़ने के लिए क्रिश्चियन मिशनरी संस्था लुथर्न मिशन स्कूल,तिरुपति में दाखिल कराया। इसके बाद उन्होंने वेल्लूर और मद्रास कॉलेजों में शिक्षा प्राप्त की। 
वह शुरू से ही एक मेधावी छात्र थे। 
अपने विद्यार्थी जीवन में ही उन्होंने बाइबल के महत्वपूर्ण अंश याद कर लिए थे,जिसके लिए उन्हें विशिष्ट योग्यता का सम्मान भी प्रदान किया गया था। उन्होंने वीर सावरकर और विवेकानंद के आदर्शों का भी गहन अध्ययन कर लिया था। सन 1902 में उन्होंने मैट्रिक की परीक्षा अच्छे अंकों में उत्तीर्ण की जिसके लिए उन्हें छात्रवृत्ति प्रदान की गई। 
कला संकाय में स्नातक की परीक्षा में वह प्रथम आए। इसके बाद उन्होंने दर्शनशास्त्र में स्नातकोत्तर किया और जल्द ही मद्रास रेजीडेंसी कॉलेज में दर्शनशास्त्र के सहायक प्राध्यापक नियुक्त हुए। डॉ.राधाकृष्णन ने अपने लेखों और भाषणों के माध्यम से विश्व को भारतीय दर्शन शास्त्र से परिचित कराया। 
डॉ राधाकृष्णन की जीवन परिचय से सम्बंधित प्रश्नोत्तरी खेलने के लिए नीचे दिए गए लिंक पर click करें-